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Gaza War: गाजा में संघर्षविराम पर नहीं बनी सहमति, रूस-चीन ने यूएनएससी में अमेरिका के प्रस्ताव पर किया वीटो

अमेरिका ने अपने प्रस्ताव में मानवीय विराम का आह्वान किया था, लेकिन युद्धविराम का नहीं। साथ ही यह सुनिश्चित करने को कहा गया था कि सुरक्षा परिषद द्वारा पारित किसी भी प्रस्ताव में इस्राइल और गाजा में हिंसा के लिए हमास को दोषी ठहराया जाए। वहीं, रूस का प्रस्ताव गाजा में युद्धविराम पर केंद्रित था।

Israel Hamas war Russia China veto US resolution at UNSC Russia resolution for ceasefire in Gaza rejected

UNSC - फोटो : सोशल मीडिया

विस्तार

गाजा में इस्राइल की बमबारी के बीच संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की बैठक में संघर्षविराम पर एक बार फिर आम सहमति नहीं बन पाई। बुधवार को अमेरिका और रूस ने यूएनएससी में दो अलग-अलग प्रस्ताव दिया। लेकिन दोनों खारिज हो गए। अमेरिका ने जहां रूस के प्रस्ताव के खिलाफ वीटो किया। वहीं, चीन और रूस ने अमेरिका के प्रस्ताव को अपनी वीटो शक्ति का उपयोग करते हुए खारिज कर दिया।

दरअसल, अमेरिका ने अपने प्रस्ताव में मानवीय विराम का आह्वान किया था, लेकिन युद्धविराम का नहीं। साथ ही यह सुनिश्चित करने को कहा गया था कि सुरक्षा परिषद द्वारा पारित किसी भी प्रस्ताव में इस्राइल और गाजा में हिंसा के लिए हमास को दोषी ठहराया जाए। वहीं, रूस का प्रस्ताव गाजा में युद्धविराम पर केंद्रित था।

  अमेरिका का प्रस्ताव खारिज होने के बाद संयुक्त राष्ट्र में इस्राइल के राजदूत गिलाड एर्दान (Gilad Erdan) ने कहा कि वह अमेरिका और इस परिषद के अन्य सदस्यों को धन्यवाद देना चाहते हैं जिन्होंने इस प्रस्ताव का समर्थन किया। यह प्रस्ताव स्पष्ट रूप से क्रूर आतंकवादियों की निंदा करता है और सदस्य देशों को आतंक के खिलाफ खुद का बचाव करने का अधिकार देता है। यह दर्शाता है कि संयुक्त राष्ट्र के हॉल में फैले सभी झूठों के बावजूद, अभी भी ऐसे लोग हैं जो स्वतंत्रता और सुरक्षा के मूल्यों के लिए खड़े हैं।

बर्बर आतंकवादियों को कुचलने के लिए बड़े सैन्य अभियान की जरूरत


उन्होंने कहा कि इस्राइल में, हम अपने अस्तित्व के लिए लड़ रहे हैं। अगर किसी भी देश में इसी तरह का नरसंहार होता है, तो वो इस्राइल की तुलना में कहीं अधिक ताकत के साथ इसका सामना करेगा। ऐसा बर्बर और अमानवीय क्रूरता करने वाले आतंकवादियों के खिलाफ बड़े सैन्य अभियान की आवश्यकता होती है, ताकि उनकी आतंकवादी क्षमताओं को खत्म किया जा सके और यह सुनिश्चित किया जा सके कि ऐसे क्रूर हमले दोबारा कभी नहीं हो सकें।